काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था के आधार पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि

काव्य में लोकमंगल की साधनावस्था के आधार पर आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि हिंदी साहित्य क्षेत्र में आचार्य रामचंद्र शुक्ल प्रधानतया आलोचक के रूप में विख्यात हैं। वे हिंदी आलोचना क…

आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि।। सरल नोट्स ।। Critical view of Acharya Shukla

आचार्य रामचंद्र शुक्ल की आलोचना दृष्टि।। सरल नोट्स ।। Critical view of Acharya Shukla हिन्दी साहित्य में उत्कृष्ट आलोचकों अथवा समीक्षकों के स्तुत्य प्रयासों से हिन्दी साहित्य आज विश्व साहि…

रस का अर्थ परिभाषा एवं स्वरूप।। ras ki paribhasha or uska swaroop

रस का अर्थ परिभाषा एवं स्वरूप रस का परंपरागत अर्थ रस शब्द का परंपरागत अर्थ और प्रयोग हमारे यहाँ अनादिकाल से होता रहा है।  इस शब्द के अनेक अर्थ मिलते हैं।  ऋग्वेद और वैदिक साहित्य में यह शब्…

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